जब बादल घिरना आरम्भ करते हैं तो वह रोमांचित हो जाता है।
2.
खुद से नज़र चुराई कितनी, कितना भागे हम तुम से, पर ये यादों की आँधी भी आ जाती है एकदम से, टेक दिये घुटने हमने, मुश्किल था कदमों का उठना, याद बवंडर बन के आई, शुरू हुए बादल घिरना, और रात भर हुई नयन से घुमड़ घुमड़ बरसात खुद से मिलने की फुरसत थी कई दिनो के बाद।